वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग समझते हैं। बुद्धिर्बलं यशो धैर्यं निर्भयत्वमरोगिता। “Certainly, I have reached my misplaced love back!, with adroit and admirable help of grand https://www.youtube.com/@Mahavidyabaglamukhi