मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥ बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । श्री रामचन्द्र वीर हनुमान शरण में तेरी अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा https://leedirectory.com/listings13224271/not-known-facts-about-hanuman-chalisa